Wednesday, July 9, 2008

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फिल्म अभिनेता सैफ अली खान को पद्मश्री दिये जाने की केंद्र सरकार की घोषणा पर जिस तरह से आश्चर्य व्यक्त किया गया और विरोध के स्वर सुनाई दिये वो कुछ मामलों में अभूतपूर्व है। सवाल उठा है कि इस से सैफ का सम्मान बढ़ा या पद्मश्री अवार्ड की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई। अंतरराष्ट्रीय पशु रक्षा संगठन के भारतीय प्रतिनिधि नरेश कादयान ने कहा कि सैफ अली खान को पद्मश्री से सम्मानित किये जाने के निर्णय से ही साफ हो जाता है कि ऐसे सम्मानों के लिए पात्र व्यक्तियों का चयन करने में टीवी के मनोरंजन चैनलों की धमा-चौकड़ी तथा जोर-जुगाड़ का प्रभाव पड़ता है। सैफ अली खान को पद्मश्री देने के विरोध में अंतरराष्ट्रीय पशु रक्षा संगठन ने ऑनलाइन याचिका कर गुहार लगायी है की पदमश्री वापिस लो तथा राजस्थान में प्रकृति प्रेमी विश्नोई समाज ने सैफ अली खान का पुतला फूका । उल्लेखनीय है कि काले हिरण के शिकार के मामले में सैफ अली खान और अन्य पर मामला अदालत में लंबित है। पीपल्स फॉर एनिमल हरियाणा के मनधीर मान तथा अशोक कुमार मित्तल का मानना है कि सैफ अली खान का नाम प्रतिष्ठापूर्ण पद्मश्री अवार्ड के लिए योग्य चयन नहीं है। सैफ अली खान का कला और समाज को क्या योगदान है? उन्होंने अनेक सफल और असफल हिंदी फिल्मों में काम किया है। देश एवं समाज के कल्याण की दिशा में उनका नगण्य योगदान है। उनके फिल्म प्रशंसकों की संख्या बहुत सीमित है। सैफ अली खान ने ऐसा एक भी उल्लेखनीय काम नहीं किया होगा जो युवा वर्ग के लिए प्रेरणादायक कहा जा सके। सैफ अली खान की पहचान के अनेक कारण हैं। मसलन, वह अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी के पुत्र हैं, उन्होंने बरसों पहले अपने से उम्र में बड़ी अभिनेत्री अमृता सिंह से विवाह किया था। उनकी दो संतानें हैं। अमृता से अलगाव के बाद एक विदेशी सुंदरी सैफ के करीब देखी जाती थी। नवाब पटौदी द्वारा इस्तेमाल की गई बन्दुक भी पहले फिल्म अभिनेता सैफ अली खान के नाम थी जो बाद में सोहा अली खान को बिना किसी जाँच के गुडगाँव में चढ़ा दी गई जबकि सोहा अली खान की उमर कम थी जिसे नरेश कादयान द्वारा उजागर तो किया परन्तु जिलाधीश द्वारा सोहा अली खान को अभयदान दे दिया। अंतरराष्ट्रीय पशु रक्षा संगठन के भारतीय प्रतिनिधि नरेश कादयान ने सरकार से सवाल किया है कि पद्मश्री के लिए सैफ का चयन करते समय उसने उनकी किस खूबी को ध्यान में रखा। स्वयं सैफ अली खान पद्मश्री के लिए अपने नाम की घोषणा पर कथित रूप से आश्चर्यचकित बताये गए हैं। उनका हैरान होना स्वाभाविक है। इससे पहले अमिताभ बच्चन (पद्मश्री पद्मभूषण), रजनीकांत (पद्मभूषण), कमल हसन (पद्मश्री) आमिर खान (पद्मभूषण), रहमान खान (पद्मभूषण) और रेखा (पद्मश्री) ऐसे नाम रहे हैं जिन्हें राष्ट्रीय सम्मान का सच्चा हकदार माना गया। इन नामों पर कभी विवाद ही नहीं हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सम्मानों के लिए बड़े सुनियोजित ढंग से माहौल बनाया जाता है। प्रचार किया जाता और हथकंडे आजमाये जाते हैं। इस काम में कुछेक चौबीस घण्टे वाले चैनलों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जाती है। नतीजा यह होता है कि कभी-कभी राष्ट्रीय सम्मान के लिए घोषित होने वाले नाम पर लोगों की आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो जाती हैं। ऐसा प्रत्येक नाम के मामले में कतई नहीं होता है। बहरहाल, जरूरत इस बात की है कि राष्ट्रीय सम्मानों की प्रतिष्ठा और गरिमा को ध्यान में रखकर ही नामों का चयन होना चाहिए। फिलहाल, सरकार सैफ की उन उपलब्धियों और योगदान को स्पष्ट करे जिसके चलते उन्हें पद्मश्री देने का निर्णय लिया गया।
जोधपुर के विश्नोई समाज ने फिल्म अभिनेता सैफ अली खान को पद्मश्री दिए जाने का विरोध किया है. लोगों ने सैफ का पुतला फूंका और नारे लगाए. लोगों का कहना है कि सैफ काले हिरण के शिकार में सलमान खान के साथ आरोपी हैं ऐसे में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करना सही नहीं है. विश्नोई समाज के लोगों ने इसकी शिकायत राष्ट्रपति तक पहुंचाने की बात भी कही है. विश्नोई कमांडो फ़ोर्स के पुखराज विश्नोई ने जोधपुर में कहा, ‘सरकार ने सैफ अली को जो यह पुरस्कार देने का फैसला किया है यह गलत है ऐसे अपराधी को पुरस्कार दिए जाने का हम विरोध करते है और अगर यह फैसला नहीं बदला जायेगा तो हम दिल्ली तक जाकर प्रदर्शन करेंगे. गौरतलब है कि फिल्म अभिनेता सलमान खान पर दो काले हिरणों के शिकार का मामला चल रहा है. आरोप है कि शिकार के वक्त सलमान के साथ सैफ भी थे. ऐसे में सैफ को पद्म पुरस्कार देने पर सवाल उठाने में अंतरराष्ट्रीय पशु रक्षा संगठन के भारतीय प्रतिनिधि नरेश कादयान भी कूद पडे है. उन्होने कहा, ‘सरकार ने पद्मश्री पुरुस्कार देने का फैसला सही नहीं किया है जिस का मामला कोर्ट में विचाराधीन चल रहा हो और वो भी जिसमे 10 साल की सजा तक हो सकती है ऐसे आदमी को पद्मश्री पुरुस्कार देना बिलकुल न्यायसंगत नहीं है. पीपुल फार एनीमल्स राजस्थान के बाबूलाल जाजू ने जोधपुर में चिंकारा एवं काले हिरण शिकार प्रकरण में सह अभियुक्त सैफ अली खान को पद्मश्री देने के सरकार के निर्णय निंदा की है। जाजू ने बताया है कि जोधपुर के मथानिया गांव में वर्ष 1998 में सलमान खान के साथ हिरणों के शिकार के मामले में सैफ अली खान भी सहअभियुक्त है और यह मामला जोधपुर उच्च न्यायालय में चल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सैफ अली को पद्म सम्मान देकर राष्ट्र का अपमान किया गया है। काले हिरण का शिकार करने के मामले में फंसे बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान को पद्मश्री देने की घोषणा से बवाल मच गया है। पर्यावरण प्रेमियों व विश्नोई समाज की संस्थाओं ने राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील को पत्र लिखकर सैफ को दिया जा रहा सम्मान वापस लेने की मांग की है। ज्ञात हो की अध्यक्ष,पीपल्स फॉर एनिमल हरियाणा नरेश कादयान द्वारा ही नवाब पटौदी शिकार मामले में आवाज उठाई थी तथा सोहा अली खान की बन्दुक का मामला भी इन्होने ही उजागर किया परन्तु नरेश कादयान अभी तक अदालत के चक्कर काट रहे है.
शायद पहली बार है जब पद्म पुरस्कारों को लेकर इतना बवाल मचा है. पहले संत सिंह चटवाल, फिर कवि जानकीवल्लभ शास्त्री और अब सैफ अली खान. यह फेहरिस्त लंबी ही होती जा रही है.

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नरेश कादयान http://nareshkadyan.blogspot.com/
अध्यक्ष,पीपल्स फॉर एनिमल हरियाणा,
Naresh Kadyan http://nareshkadyan.webs.com/
अंतरराष्ट्रीय पशु रक्षा संगठन के भारतीय प्रतिनिधि
Representative of the International Organization for Animal Protection in India,
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Chair PFA Haryana http://www.pfaharyana.in
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